संख्या 7043 जी/रा0वि0प0-एक-230ए/66 दिनांकः जनवरी 30, 1979
उपर्युक्त प्रसंग में मुझे यह निवेदन करने का निदेश हुआ है कि वित्तीय नियमावली खण्ड 2, भाग 2-4, के मूल नियम 37-ए के अनुसार परिषद की सामान्य सेवा शर्तो से अनुशासित परिषदीय कर्मचारी अर्जित अवकाश अथवा 12 मास की सीमा के अन्तर्गत चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अवकाश उपयोग करने पर अवकाश प्रारम्भ होने के मास के तुरन्त पहले के पूरे दस महीने में उनके द्वारा अर्जित मासिक वेतन के औसत के बराबर अथवा उन्हें प्राप्त होने वाले मौलिक वेतन के बराबर, इनमें जो भी अधिक हो अवकाश वेतन प्राप्त करने के हकदार होते है। ऐसे परिषदीय कर्मचारियों को जिनका किसी स्थाई पद पर धारणाधिकार (Line) नही है और स्थानान्पन्न अथवा अस्थाई रूप से सेवायोजित है, सहायक नियम 157-ए के अनुसार अर्जित अवकाश अथवा चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अवकाश जिसकी अवधि सम्पूर्ण अस्थाई सेवाकाल से अधिकतम 4 मास होती है, उपभोग करने पर अवकाश प्रारम्भ होने के मासों के तुरन्त पहले के पूरे 10 महीने में उनके द्वारा अर्जित मासिक वेतन के औसत के बराबर अवकाश वेतन प्राप्त होता है। अवकाश वेतन के आगणन की उपरोक्तप्रणाली को और अधिक सरल बनाये जाने के उद्देश्य से यशोचित विचारोपरान्त राज्य शासन की अनुरूपता में परिषद ने यह निर्णय लिया है कि समस्त परिषदीय कर्मचारियों का चाहें वे स्थाई हो अथवा अस्थाई, अर्जित अवकाश तथा 12 मास/4 मास, नियमानुसार जैसी भी स्थिति हो, की सीमा के अन्तर्गत चिकित्सा प्रमाण-पत्र अवकाश उपभोग करने हेतु अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पहले प्राप्त होने वाले वेतन के बराबर अवकाश वेतन ग्राहय होगा।
2- ऊपर पैरा 1 में अंकित आदेश ऐसे मामलों में जहाँ अवकाश पर प्रस्थान करने की तिथि से परिषदीय कर्मचारी उच्चतर वेतनमान से निम्नतर वेतनमान में प्रत्यावर्तित होता अथवा नियुक्त होता हो, इस संशोधन के साथ प्रभावी होंगे कि निम्नतर वेतनमान में ऐसे परिषदीय कर्मचारी को जो वेतन नियमानुसार अनुमन्य होता, यदि वह अवकाश पर प्रस्थान न किया होता, वही वेतन अवकाश की अवधि में अवकाश वेतन के रूप में स्वीकार किया जायेगा।
3- उपरोक्त आदेश दिनांक 1 जनवरी 1979 से प्रभावी होंगे।